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बुधवार, 18 मई 2011

AwakIND: Nourishing the roots of change, Making INDIA a better place to live in

AwakIND: Nourishing the roots of change, Making INDIA a better place to live in

स्वसासन आपकी प्रतिक्रियाओं के स्वागत को प्रतीक्षित है ....

हमारा राष्ट्रगान कितना न्यारा कितना हमारा ???

स्वसासन आपकी प्रतिक्रियाओं के स्वागत को प्रतीक्षित है ....
हमारा राष्ट्रगान कितना न्यारा कितना हमारा  ???
 जय हिंद !
[मूलतः जागरण जंक्शन पर पूर्व प्रकाशित ]

अभी अभी गुजरे क्रिकेट विश्व कप के एक मैच की शुरुआत के समय मैं अपने कार्यालय में अपने कर्त्तव्य पर उपस्थित था .मैच से पहले टी व्ही पर राष्ट्रगान शुरू हो गया. मैं तुरंत अपनी कुर्सी से उठकर सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया . सहकर्मियों की धीमी धीमी हंसी उड़ाने वाली हंसी की आवाज मुझे सुनाई पड़ रही थी किन्तु मैं  मेरे इस तरह के कई कामों के लिए ऐसे हंसी सुनने और अनसुना करने का आदी हूँ .
इस बीच कार्यालय में आगंतुकों का आवागमन बदस्तूर जारी था . मुझसे सम्बंधित कार्य के लिए मेरे सामने आने वालों में से कुछेक ने काम के सम्बन्ध में प्रश्न भी किया किन्तु मेरे टी व्ही की ओर ध्यान को देख चुप हो गए . कुछ साथियों और आगंतुकों ने ना तो मेरी ओर  ना ही टी व्ही से आ रही आवाज की ओर ध्यान दिया.उन्हें पता ही नहीं चला क्या कुछ घटा वहां पर ! वहां उस समय उपस्थित ३०-३२ लोंगों में से किसी और को मेरा अनुसरण करते मैंने नहीं पाया !

रविवार, 1 मई 2011

क्यों जलती है कलम

स्वसासन आपकी प्रतिक्रियाओं के स्वागत को प्रतीक्षित है ....
swasasan team always welcomes your feedback. please do.
[ कहीं भी कुछ  भी पसंद आये 
कृपया प्रमोट कीजिये.........  ]
यदि आपके सीने में भी 
एक धड़कता हुआ दिल है
तो जीवन में कभी ना कभी
आपने भी सीने में जलन 
और दिल में लहू की जगह

स्वसासन { स्वप्न साकार संकल्प }

स्वसासन आपकी प्रतिक्रियाओं के स्वागत को प्रतीक्षित है ....
स्वसासन { स्वप्न साकार संकल्प }    
SwaSaSan अकेला एक शब्द नहीं वरन तीन शब्दों के मेल से बना है स्व स्वप्न से , सा साकार से और सं संकल्प से मिलकर बना है स्वसासन....
पृथक पृथक  परिप्रेक्ष्य में प्रत्येक शब्द लिया गया है . 
स्वप्न
वह दिवा स्वप्न है जिसे आजाद भारत रचने वाला था जिसके हम भारतीय अधिकारी भी थे. उस स्वप्न की तस्वीर का फ्रेम आज़ादी के रूप में हमें देकर शहीद होने वालों के स्वप्नों की तस्वीर के निकट पंहुचने ही नहीं वरन उस स्वप्न के साकार  को संकल्प बद्ध  मंच है स्वसासन...

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